शिक्षा, प्रेम और प्रतिस्पर्धा


हमारी आज की शिक्षा व्यवस्था और धर्म में एक बुनियादी समानता है। धर्म भय सिखाते हैं। नरकों का भय। पापों का भय। दण्डों का भय। हमारा समाज भी भय सिखाता है। असम्मान का भय। आज की शिक्षा व्यवस्था भी इसी पथ पर अग्रसर हो रही है। शिक्षा भी भय सिखाती है- असफलता का भय। ऐसी शिक्षा खतरनाक है। शिक्षा तो वो है जो साहस दे। आँख बंद करने मान लेने के बजाय उसे परखने की शक्ति दे। पर आज हमारा समाज ऐसा कर सकने विफल रहा है।
                हम शिक्षा की आड़ में प्रतिस्पर्धा सिखा रहे हैं। हम आगे रहना सिखा रहे हैं। आगे वालो सम्मानित कर रहे हैं और पीछे पंक्तियों में खड़े मनुष्यों को अपमान की दृष्टि से देख रहे हैं। इसका परिणाम क्या होगा। हम पीछे खड़े लोगों में ईर्ष्या पैदा कर देंगे। और फिर प्रेम का कोई अस्तित्व नहीं रह जायेगा। एक बच्चे को बचपन से ही हम सिखाते हैं। राम बनो, कृष्ण बनो , गाँधी बनो, कलाम बनो। हम उनपे अपने आदर्श थोप रहे हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी यही होता चला आ रहा है। वस्तुतः कोई भी मनुष्य किसी दूसरे के जैसा नहीं हो सकता। कृष्ण एक ही हुए, राम एक ही हुए, बुद्ध एक ही हुए। दुबारा नहीं हो सकते। कोई प्रयोजन ही नहीं है। राम से अच्छा हुआ जा सकता है। बुद्ध से अच्छा हुआ जा सकता है। पर बुद्ध होने का सवाल ही नहीं है। प्रत्येक को स्वयं जैसा ही होना पड़ेगा। उसका व्यक्तित्व स्वयं में ही अद्वितीय है। और जितनी जल्दी हम इस बात को समझ लेंगे, समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है।
                ये विडम्बना है की हम विद्यालयों में तो ये सिखा रहे हैं की विनीत बनो, प्रेम करो, सम्मान करो। फिर उन्हें आगे आने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं। इस क्रम में जो दूसरों को पछाड़कर आगे पहुँच गए, उन्हें पुरस्कृत कर रहे हैं। इससे निरंतर प्रतिस्पर्धा  जन्म ले रही है। मन की दीवारे प्रगाण होती जा रही है। आगे आने वालो के अहंकार को बल दिया जा रहा है और जो आने में असमर्थ रहे उनका अहंकार दबाया जा रहा है। प्रतिस्पर्धा महत्वाकांक्षा को जन्म देती है। फिर हर कोई आगे बढ़ जाना चाहता है। रास्ता जो भी हो। परन्तु शिक्षा को महत्वाकांक्षा से मुक्त होना चाहिए। महत्वाकांक्षा प्रतिस्पर्धा है , प्रेम नहीं है। प्रेम पीछे रहना जानता है। प्रतिस्पर्धा आगे होना चाहती है। जो व्यक्ति प्रेम करेगा वो खुद को पीछे रखेगा और जिससे प्रेम करेगा उसे आगे जाने देगा। फिर इसमें प्रतिस्पर्धा नहीं होगी। ईर्ष्या नहीं होगी। कोई द्वेष नहीं होगा। क्राइस्ट ने कहा है - " धन्य हैं वे , जो पीछे होने में समर्थ हैं।"  प्रतिस्पर्धा बिलकुल उलटी चीज़ है।
                    आज महाविद्यालयों में होड़ लगी है आगे आने की। मनुष्यों में और यहाँ तक राष्ट्रों में भी खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की दौड़ है। इसी महत्वाकांक्षा ने कई युद्ध और विश्वयुद्ध करवा दिए। करोड़ो लोगों की जान ले ली। इतिहास में दर्ज है की महत्वाकांक्षा मानव जाति के लिए कितनी विनाशकारी सिद्ध हुई है। दरअसल इसके जिम्मेदार मनुष्य नहीं है अपितु वो व्यवस्था है जो सदियों से हमपर थोपी जा रही है। छोटे छोटे बच्चों में अहंकार जगाया जा रहा है। उनके सरल और निर्दोष चित्त में हम अपनी रुढ़िवादी परम्पराएं, अपनी सैकड़ो साल पुरानी विसंगतियाँ, धार्मिक कट्टरता, नफरत; ये सब कुछ भर देते हैं। और अंततः हम बच्चों के मन को विषाक्त बनाने में सफल हो रहे हैं। मुझे नहीं लगता इससे बड़ा अपराध कोई और हो सकता है पृथ्वी पर।
                    इन सारी कुरीतियों और समाज की इस दुर्दशा की जिम्मेदारी किसी न किसी को तो अवश्य लेनी होगी। और इसके जिम्मेदार कोई और नहीं, शिक्षक हैं।  नयी पीढ़ी के मन में विष भरने, उन्हें प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित करने और रुढ़िवादी परम्पराओं को थोपने में शिक्षक ने इस समाज का भरपूर सहयोग किया है। एक शिक्षक को चाहिए कि वो बच्चों में मुक्त चिंतन की शक्ति पैदा करे। पुराने विश्वास को तोड़कर बच्चों को खोजी बनाये क्योंकि जब तक पुरानी जंजीरों को तोडा नहीं जायेगा स्वतंत्र सोच को विकसित करना असंभव है। पर शिक्षक समाज ऐसा करने में असफल रहा है। इसलिए शिक्षक होना एक बड़ी साधना है। और आज जब स्थिति इतनी भयावह है तो ये और भी दुष्कर प्रतीत होता है।
                     आज शिक्षक को सचेत हो जाने की जरुरत है। क्योकि उसपर आने वाली पीढ़ियों का भविष्य टिका है। जब तक शिक्षक भी खुद को पुरानी असंगत धारणाओं और पक्षपातों से दूर नहीं कर लेता, नई पीढ़ी में चिंतन पैदा करना मुश्किल है। आज शिक्षक को सिर्फ सृजन ही नहीं वरन विध्वंश भी करना है। विध्वंश उन पुरानी मानसिकता और परम्पराओं का। और सृजन एक नई सोच का। विचार का। और प्रेम का।  यह बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है। यदि शिक्षक इसे पूरा करने में सफल हुआ तो ही एक नए मनुष्य और एक नई मनुष्यता का जन्म हो सकेगा। 


Image Courtesy : Google Images
Written By - Ravi Ranjan...

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BEWARE : BIG BROTHER IS WATCHING YOU (1984)

1984, a literary masterpiece, penned by George Orwell, created a harrowing picture of dystopia named OCEANIA, where government decides anything and everything. What to do, what not to do, how to do and even what to think. The totalitarian state of Oceania was portrayed as BIG BROTHER. They(Big Brother) control the past, present and even future. People of Oceania were in constant fear, unbearable suffering and succession and under the surveillance of omnipresent Telescreen. It was a totalitarian regime. In party's words, 
WAR IS PEACE.
FREEDOM IS SLAVERY.
IGNORANCE IS STRENGTH.
                    If they call 2 + 2 = 5. It is the 'real' truth. How is it possible for someone to believe in such paradoxical statements? But you have to. You are not only supposed to accept it but to think on the line of Big Brother. This was frightening but unavoidable. 
                    The politics and psychology of this novel run deep. It predicts the true picture of (more or less) what we are witnessing in our times. State runs propaganda, they spread fake news, they make false statements and eventually they manipulate your thought. So that you won't think against party's ideology. So that you will follow them blindly and in the name of democracy they will impose totalitarianism. In context of our present world, more or less scenario is same as 'Oceania'. Political parties are like Big Brother. The only difference from the novel to real world is- They will not kill you, they will not make you confess either. THEY WILL CHANGE YOUR THOUGHT. And this will be done by propaganda, misinformation, persuasion and using money in all possible manners. In Fact, it is happening today. 

                      More than 65 years since this book was published, it still remains one of the most hauntingly terrifying portrayals of the future of human kind. A future where every thing belongs to the state and NO ONE is FREE. The state is omnipotent and omnipresent. If you will ever try to move against them. 
YOU. ARE. THE. DEAD. (Within or outside) 

Because..... 

BIG BROTHER IS WATCHING YOU....

Image Courtesy : Google Images
Written by- Ravi Ranjan
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अहं-शून्यता की झलक : ओशो

एक सुबह ! अभी सूरज भी निकला नहीं था और एक मांझी नदी के किनारे पहुँच गया था। उसका पैर किसी चीज़ से टकरा गया। उसने झुककर देखा। पत्थरों से भरा हुआ एक झोला पड़ा था। उसने अपना जाल किनारे रख दिया और सुबह के सूरज के उगने की प्रतीक्षा करने लगा। सूरज उग आया। वह अपना जाल फेंके और मछलियाँ पकडे। वह जो झोला उसे पड़ा हुआ मिला था, जिसमें पत्थर थे। वह एक-एक पत्थर निकाल कर शांत नदी में फेंकने लगा। सुबह के सन्नाटे में उन पत्थरों के गिरने की आवाज़ उसे बड़ी मधुर लग रही थी। उस पत्थर से बनी लहरें उसे मुग्ध कर रही थी। वह एक एक करके पत्थर फेंकता रहा। 

                               धीरे धीरे सुबह का सूरज निकला। रौशनी हुई। तब तक उसने झोले के सारे पत्थर फेंक दिए थे। सिर्फ एक पत्थर उसके हाथ में रह गया था। सूरज की रौशनी में देखते ही जैसे उसके ह्रदय की धड़कन बंद हो गयी। सांस रुक गयी। जिसे उसने पत्थर समझ कर फेंक दिया था, वे हीरे-जवाहरात थे। लेकिन अब तो अंतिम हाथ में बचा था और वह पूरे झोले को फेंक चुका था। वह रोने लगा, चिल्लाने लगा। इतनी सम्पदा उसे मिल गयी थी की अनंत जन्मों के लिए काफी थी परन्तु अँधेरे में, अनजान, अपरिचित, उसने सारी सम्पदा को पत्थर समझकर फेंक दिया था।

                            लेकिन फिर भी वो मछुआ सौभाग्यशाली था, क्योंकि अंतिम पत्थर फेंकने से पहले ही सूरज निकल आया था और उसे दिखाई पड़ गया था की उसके हाथ में हीरा है। 

                            साधारणतयाः सभी लोग इतने सौभाग्यशाली नहीं होते। जिंदगी बीत जाती है, सूरज नहीं निकलता, सुबह नहीं होती, सुबह की रौशनी नहीं आती। और सारे जीवन के हीरे हम पत्थर समझ कर फेंक चुके होते हैं। जीवन एक बड़ी सम्पदा है लेकिन आदमी सिवाय उसे फेंकने और गंवाने के कुछ भी नहीं करता है। जीवन क्या है यह पता भी नहीं चल पाता और हम उसे फेंक देते हैं। जीवन में क्या छिपा है, कौन से राज, कौन से रहस्य, कौन सा स्वर्ग, कौन सा आनन्द, कौन सी मुक्ति, उन सब का कोई अनुभव भी नहीं हो पाता और जीवन हमारे हाथ से रिक्त हो जाता है।  




श्रोत : ओशो प्रवचन
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WHAT IS HAWALA AND HOW IT WORKS ?


“Hawala” , a word which is making headlines very often these days and can be easily associated with Naresh Jain, Madhu Koda, Hasan Ali Khan and many other Hawala Kings. But, What exactly is Hawala? How it works? and Why is this illegal ?
What is Hawala?
 The word "Hawala" means trust. Its is an alternative or parallel remittance system, which works outside the circle of banks and formal financial systems. Hawala is an ancient system of money transfer which originated in South Asia and is now being used across the globe. This system mainly developed in India, before the introduction of western banking practices. It is also sometimes referred to as “Underground Banking”. Though it is being used across the world to remit funds, but it is not a legal system. It works on the basis of many middle men called the hawaldars or the hawala dealers. The reason, why Hawala is extensively used inspite of the fact that it is illegal, is the inseparable element of trust and extensive use of family or regional affiliations. 



How Hawala works?

Hawala works by transferring money without actually moving it. In a hawala transaction , no physical movement of cash is there. Hawala system works with a network of operators called Hawaldars or Hawala Dealers. A person willing to transfer money, contacts a Hawala operator at the source location. The hawala operator at that end collects the money from that person who wishes to make a transfer. He then calls upon his counterpart or the other Hawala operator at the destination place/country was the transfer has to be made. Now the hawala operator at the tranferee’s end, hands over the cash to the intended recipient after deducting a certain amount of commission. The best way to understand Hawala is through understanding a single hawala transaction. For example, Chinappa is a taxi driver staying at UK on an expired tourist Visa. He wants to remit some money for his family in India. Chinappa cannot approach an authorized money transfer agent/bank there as he is an illegal immigrant in the UK. Thus Chinappa finally lands up at a hawala operators office, who not only promises him to deliver the cash to his native place in India at a reasonable commission , but also in a very short period of time. Chinappa then hands over the cash to the UK hawala operator. The UK hawala operator then calls his Indian counterpart and asks him to deliver funds to Chinappa’s family member. Any member of Chinappa’s family can now collect cash from the Indian Hawala operator, after deduction of commission charges and on producing an authentication code, which is generally used in all hawala transactions. A reverse Hawala transaction can also be initiated, where a father approaches the same Indian hawala operator for remitting funds for his son studying in UK through the UK hawala operator. In this manner, money never actually moves. The position of the hawala operator’s in each others books gets squared off.

Is Hawala Illegal?
Yes, Hawala has been made illegal in many countries, as it is seen to be a form of money laundering and can be used to move wealth anonymously. As hawala transactions are not routed through banks they cannot be regulated by the government agencies and have thus emerged as a major cause of concern. This network is being used extensively across the globe to circulate black money and to provide funds for terrorism, drug trafficking and other illegal activities. In India, FEMA (Foreign Exchange Management Act) 2000 and PMLA ( Prevention of Money Laundering Act) 2002 are the two major legislations which make such transactions illegal.

Why people still use Hawala?
Inspite of the fact that hawala transactions are illegal, people use this method because of the following reasons:
  • The commission rates for transferring money through hawala are quite low
  • No requirement of any id proof and disclosure of source of income is there
  • It has emerged as a reliable and efficient system of remittance
  • As there is no physical movement of cash, hawala operators provide better exchange rates as compared to the official exchange rates
  • It is a simple and hassle free process when compared to the extensive documentation being done by the banks
  • It is the only way to transfer unaccounted income.
How do the hawaldars at the source and destination settle their balances between themselves ?
 Typically, Hawala brokers or Hawaldars are business partners engaged in import and export of goods. They may be engaged in illegal transfers of goods like drugs or precious gems and jewellery.
To move goods illegally they would print an invoice with lesser money than the actual value. When a hawala operator pays a recipient, he might be actually paying of the debts owned by him to the operator.
Apart from business settlements, rarely, the funding can be from illegal means as an effort to launder money. The back payment between the hawala brokers can happen as a counter hawala transaction as well.
The hawala agents keep a tally of the money that they owe to each other. Once the settlement is done, they don’t keep any record of that transaction, making the hawala very difficult to trace.
So, the next time you come across the word Hawala, I am sure you will be able to draw a picture about the transaction in your mind.


Discalimer : I do not recommend you to use the Hawala method for money transfer. This answer is meant solely for the purpose of quenching your Hawala thirst.
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ALL CA-CPT SHORT NOTES AT ONE PLACE

Hello Future CA....
In one of my previous post, I uploaded very important notes of Accounts and Law. In case you missed that don't worry.
Download CA-CPT SHORT NOTES OF ACCOUNTS & LAW 

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Today, in this post, I am going to upload my favourite subjects notes. i.e. Economics & Quantitative Aptitude. These notes will help you to grasp the concepts easily and will help you to prepare better for exams. The good part is that these notes cover only important parts and theories so that you can save your time and invest in your weak subjects.

Here I am providing direct download links for all the notes chapter wise. Notes are just a single click away from you.

                                                   GENERAL ECONOMICS 
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1. Nature of Indian Economy                            Download 
2. Consumer Behavior                                      Download
3. Theory of Cost                                             Download 
4. Market                                                         Download
5. Indian Economic Development                      Download 
6. Population, Poverty & Unemployment           Download 
7. Infrastructural Challenges                              Download 

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See Also : Download simplest notes of MACRO ECONOMICS (point by point)


                                      QUANTITATIVE APTITUDE 
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1. Equations                                                  Download 
2. Index numbers                                           Download 
3. Inequalities                                                Download 
4. Integral Calculus                                        Download   
5. Limits and Continuity                                 Download
6. Permutation & Combination                      Download
7. Probability Theory                                    Download
8. Ratios and Proportions                             Download
9. Regression                                               Download
10. Sampling                                               Download
11. Sets, Relations and Functions                 Download 
12. Probability Distribution                          Download
13. Measures of Dispersion                         Download 
14. Differential Calculus                              Download 
15. Correlation                                           Download 
16. Measures of Central Tendency              Download
17. Arithmetic & Geometric Progression      Download 

and at last a single pdf containing all the topics together.


18. Revision of All Topics                    Download 


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                                                  BEST OF LUCK #
            Feel free to comment below for any suggestion.........................
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TALLY ERP 9 COMPLETE EBOOK

Tally is a powerful accounting Software and it is easy to use. It is designed to simplify day to day activities associated in an enterprise. Tally provides comprehensive solution accounting principles, inventory and data integrity.
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                                                        File Size - 22 MB
                                                       File Type - rar
                                                       Ebook Format - Pdf

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CA-CPT SHORT NOTES

 Hi... Here I am providing all subject CA-CPT REVISION NOTES so that you can prepare for your upcoming CA-CPT exam better. This post contains all important notes for CA-CPT and covers all the important topics as well. Don't miss to download the notes and revise from it.
I am providing direct links to download these notes for your convenience.
HAPPY LEARNING............!!! 

                                     
                                        1. FUNDAMENTALS OF ACCOUNTING
1. Final Accounts                                                                                                        Download
2. Partnership Accounts Part-1                                                                                Download
3. Partnership Accounts Part-2                                                                                Download
4. Partnership Accounts Part-3                                                                                Download
5. Partnership Accounts Part-4                                                                                Download
6. Partnership Accounts Part-5                                                                                Download
7. Consignment Accounting                                                                                     Download
8. Joint Ventures Accounting                                                                                 Download
9. Bills of Exchange                                                                                                  Download
10. Sale of Goods on Approval                                                                               Download
11. Company Accounts - SHARES                                                                         Download
12. Company Accounts - FORFEITURE                                                              Download
13. Company Accounts - REDEMPTION OF PREFERENCE SHARES        Download
14. Issue of Debentures                                                                                           Download

# This list is not complete. I will upload remaining chapters as soon as possible.

Download : CA-CPT Economics notes point by point explanation


Download : CA-CPT  Quantitative Aptitude notes for revision 
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                                                              2. MERCANTILE LAWS

1. Nature of Contract                                                                                            Download
2. Offer & Acceptance                                                                                          Download
3. Consideration                                                                                                    Download
4. Capacity to Contract                                                                                         Download
5. Free Consent                                                                                                    Download
6. Lawful Objects and Consideration                                                                     Download
7. Agreements Expressly Declared Void                                                                Download
8. Performance of Contract - Part 1                                                                      Download
9. Performance of Contract - Part 2                                                                      Download
10. Breach of Contract                                                                                         Download
11. Contingent and Quasi Contract                                                                       Download
12. Sale of Goods Act - BASICS                                                                        Download
13. Contract of Sale                                                                                             Download
14. Conditions & Warranties                                                                                Download
15. Transfer of Ownership                                                                                    Download
16. Unpaid Seller                                                                                                 Download
17. Partnership - BASICS                                                                                   Download
18. Relation of Partners - Part 1                                                                           Download
19. Relation of Partners - Part 2                                                                           Download
20. Registration and Dissolution of Firm                                                                Download


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